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NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 9: मैया मैं नहिं माखन खायो (सूरदास)

यह पेज NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 9 – “मैया मैं नहिं माखन खायो” का छात्र-अनुकूल अध्ययन-सहायक है: सरल भाषा, क्रमबद्ध व्याख्या, काव्य-भावार्थ, शब्दार्थ, साहित्यिक उपकरण, उदाहरण/उपमा, Quick Quiz और एक ही जगह सभी CBSE/NCERT तैयारी संसाधन।

मैया मैं नहिं माखन खायो — कक्षा 6 हिंदी (Malhar) अध्याय 9 | NCERT Solutions

विषय • पाठ • स्तर (Subject • Topic • Level)

  • Subject: Hindi (Literature – Poetry)
  • Topic: Surdas’s pad “मैया मैं नहिं माखन खायो” — भाव, अर्थ, उपकरण, प्रश्नोत्तर
  • Level: Class 6 CBSE • NCERT textbook aligned

Quick Summary (त्वरित सार)

यह पद बाल-कृष्ण और माँ यशोदा के स्नेहपूर्ण संवाद का चित्रण है। कृष्ण माखन खाने से इनकार करते हुए भोले-भोले तर्क देते हैं—वे छोटे हैं, हाथ छींके तक नहीं पहुँचते, सखा शरारत से मुँह पर मख़्खन लगा देते हैं। अंत में ममता की जीत होती है—यशोदा मुस्करा कर कृष्ण को गले लगा लेती हैं।

Detailed Explanation (सरल, चरणबद्ध व्याख्या)

1) कथ्य (What happens?)

  • माँ यशोदा मुँह पर लगे मख़्खन को देखकर कृष्ण को डाँटती हैं।
  • कृष्ण निर्दोष होने का तर्क देते हैं—“मैं छोटा हूँ, मेरे हाथ छींके तक कैसे पहुँचेंगे? ग्वाल-बालों ने जबरन मुँह पर मख़्खन लगा दिया।”
  • कृष्ण अपने रोज़मर्रा के काम बताते हैं—भोर होते ही गौओं को चराने मधुबन भेज दिया जाता है, शाम को ही घर लौटते हैं।
  • अंत में यशोदा का मन पिघलता है—ममता से कृष्ण को उर से लगा लेती हैं।

2) मुख्य भाव (Core ideas)

  • बाल-लीला और निश्छलता: कृष्ण की तर्क-भरी बाल-भाषा रस पैदा करती है।
  • मातृ-स्नेह: यशोदा का क्रोध भी प्रेम में घुल जाता है।
  • हास्य-विनोद: ‘मैं कैसे खा सकता हूँ?’ जैसे भोले तर्क प्रसंग को हल्का और आनंददायक बनाते हैं।

3) भाषा व शैली (Language & Style)

  • सरल, बोलचाल का मिश्रण: ब्रज/स्थानीय शब्द—जैसे भोर भयो, गैयन, छीको/छींका, लकुटि-कमरिया—लोक-सुगंध देते हैं।
  • अनुप्रास/तुक: पंक्तियों के अंत में समतुक ध्वनियाँ सुर पैदा करती हैं।
  • संवाद शैली: पूरे पद में प्रश्न-उत्तर, विनती, शरारत—ये सब दृश्यात्मकता बढ़ाते हैं।

4) पंक्ति-दर-पंक्ति भावार्थ (Line-by-Line Sense)

उदाहरणात्मक अंश (सरल अर्थ):

  • “भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो” — सुबह होते ही मुझे गायों के पीछे चराने भेज दिया जाता है।
  • “मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो” — मैं छोटा बालक, मेरी बाँहें छोटी; छींके (ऊँचा जाला) तक कैसे पहुँचूँ?
  • “ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो” — सखा शरारती हैं, ज़बरदस्ती मुँह पर मख़्खन लगा देते हैं।
  • “सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो” — यशोदा मुस्कराकर कृष्ण को हृदय से लगा लेती हैं।

5) पात्र व भाव-विश्लेषण

  • कृष्ण: बाल-भोले, तर्कशील, चुलबुले; दोष से बचने की मासूम चेष्टा भी प्यारी लगती है।
  • यशोदा: स्नेहमयी माँ—क्रोध क्षणिक; अंत में वात्सल्य हावी।
  • कवि सूरदास: भक्ति-रस के महाकवि; मातृ-वात्सल्य और कृष्ण-लीला को जीवंत करते हैं।

6) शब्दार्थ (Student-friendly Glossary)

शब्दसरल अर्थ
छींका/छीकोरस्सियों का जाल, ऊँचाई पर टाँगा जाता है (मक्खन/दही रखने हेतु)
लकुटि-कमरियालाठी और छोटा कंबल (गाय चराने का साधन)
बंसीवटकृष्ण का प्रिय वन/वृक्षों का समूह (बाँसुरी की धुन का संकेत)
भोर भयोसुबह हो गई
पतियायोविश्वास कर लिया

7) परीक्षा-उपयोगी बिंदु (For Exams)

  • काव्य का मुख्य भाव: मातृ-वात्सल्य, बाल-लीला, हास्य-रस।
  • काव्य-उपकरण: तुक, अनुप्रास, संवाद, दृष्टांत (बाल-तर्क)।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण पंक्ति: “सूरदास तब बिहँसि जसोदा…” — क्लाइमेक्स का वात्सल्य।
  • थीम-कनेक्ट: कृष्ण-भक्ति, लोक-संस्कृति, गृह-जीवन की आत्मीयता।

Example or Analogy (उदाहरण/उपमा)

उपमा: जैसे कोई नन्हा बच्चा मिठाई चख ले और मुँह पर निशान रह जाए, पर माँ से प्यारे-प्यारे बहाने बना ले—माँ डाँटती भी है और अंत में गले लगा लेती है। यही कृष्ण-यशोदा का प्रसंग है—डाँट में छिपा प्रेम और अंत में ममता का आलिंगन।

Important Facts (याद रखने योग्य तथ्य)

  • कवि: सूरदास (भक्ति-काल, कृष्ण-भक्ति के प्रमुख कवि)।
  • रस: वात्सल्य-रस (मातृ-स्नेह), सह-रस: हास्य-रस
  • शैली: संवादपरक, लोक-बोलियों की सुगंध, तुक/लय।
  • सांस्कृतिक तत्व: दही-मक्खन, छींका, गाय-चराना—ग्रामीण/आध्यात्मिक जीवन की झाँकी।

Quick Quiz (2 Questions)

  1. “मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो”—इन पंक्तियों में कृष्ण किस बात का तर्क दे रहे हैं? (2–3 वाक्य)
  2. अंतिम चरण “सूरदास तब बिहँसि जसोदा…” से कवि ने क्या संदेश दिया? (एक अनुच्छेद)

Answer Key (संकेत-उत्तर)

  1. कृष्ण अपने निर्दोष होने का तर्क देते हैं—वे छोटे हैं, बाँहें छोटी हैं, इसलिए ऊँचे छींके तक पहुँचना संभव नहीं; अतः माखन स्वयं नहीं खाया।
  2. कवि दिखाते हैं कि मातृ-स्नेह क्रोध पर विजय पाता है। बालक की मासूमियत माँ का हृदय पिघला देती है; अंत में प्रेम, विश्वास और अपनापन ही रिश्तों की डोर को मजबूत करता है।

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Frequently Asked Questions – Class 6 Hindi Malhar Ch 9

मुख्य भाव वात्सल्य-रस है—माँ-बेटे का स्नेहपूर्ण संबंध; सह-भाव हास्य/चुलबुलापन है जो बाल-लीला को जीवंत बनाता है।

छींका ऊँचाई पर टँगा जाल है। कृष्ण इसी को तर्क का आधार बनाकर कहते हैं—“छोटा हूँ, कैसे पहुँचूँ?”—यह बाल-तर्क हास्य व मासूमियत दोनों दिखाता है।

संवाद शैली, लोक-शब्द, तुक/लय, सहज हास्य, वात्सल्य-भाव—इन बिंदुओं पर 3–4 वाक्य लिखना पर्याप्त व प्रभावी रहेगा।

निर्दोष बाल-मन को समझना चाहिए; ममता विश्वास से बड़ी है। प्रेम अंततः हर गलतफहमी को पिघला देता है।