पहली बूँद — कक्षा 6 हिंदी (Malhar) अध्याय 3 | NCERT Solutions, भावार्थ, प्रश्नोत्तर
Subject • Topic • Level (विषय • पाठ • स्तर)
- Subject: Hindi (Literature – Poetry)
- Topic: “पहली बूँद” — प्रकृति का बिंब-विधान, वर्षा, रूपक/उपमा, शब्द-सौंदर्य, पाठ-आधारित प्रश्न
- Level: Class 6 CBSE • NCERT textbook aligned (Malhar)
Quick Summary (त्वरित सार)
कविता में बरसात की पहली बूँद के साथ धरती पर नवजीवन के आगमन का चित्रण है। आकाश, बादल, बिजली, नगाड़ों की ध्वनि, हरी दूब—इन सबके माध्यम से कवि बताता है कि वर्षा प्यास बुझाती है, प्रकृति को तरोताज़ा करती है और मन में उत्साह भर देती है।
Detailed Explanation (सरल, छात्र-अनुकूल व्याख्या)
1) कविता का कथ्य (What happens?)
- आकाश में बादलों का जमाव और बिजली की चमक से उत्सव-सा वातावरण बनता है।
- बादलों की गर्जना को कवि ने नगाड़ों की ध्वनि से तुलना की है—मानो धरती की तरुणाई को जगाया जा रहा है।
- पहली बूँद धरती को छूते ही हरी दूब मुस्करा उठती है; सूखी प्रकृति में प्राण-संचार होता है।
- नीले अम्बर और काले बादलों का नेत्र-बिंब (नीले नयनों-सी आँखें, काली पुतली से जलधर) वर्षा को करुणा-विगलित अश्रु (दया से झरते आँसू) के रूप में दिखाता है, जो धरती की चिर-प्यास बुझाते हैं।
2) मुख्य भाव (Theme & Mood)
- प्रकृति-प्रेम: वर्षा के आगमन से धरती, पौधों, जीव-जंतुओं में जीवन-संचार होता है।
- आशा व नव-जीवन: अंकुर फूटने, हरियाली लौटने, प्यास बुझने के संकेत।
- रसमयता: बिंब-प्रतीक (नीले नयन, काली पुतली, नगाड़े) कविता को दृश्यात्मक और संगीतात्मक बनाते हैं।
3) भाषा, बिंब, अलंकार
- बिंब (Imagery): “उड़ता सागर”, “नीले नयनों-सा अंबर”, “काली पुतली-से जलधर” — आँखों के सामने दृश्य खड़ा कर देते हैं।
- उपमा/रूपक: बादलों-आकाश की आँख/पुतली से तुलना; गर्जना = नगाड़ों की ध्वनि।
- मानवीकरण: धरती की प्यास, दूब की मुस्कान — प्रकृति को जीवंत रूप।
- ध्वनि-सौंदर्य: शब्द-चयन से लय पैदा होती है (नगाड़े, बिजलियों के स्वर्णिम पर)।
4) पंक्ति-दर-पंक्ति भावार्थ (उदाहरणात्मक)
- “आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर…” — जल से भरे मेघ और बिजली की चमक से आभास होता है कि मानो सागर स्वर्ण-पंख लगाकर आकाश में उड़ रहा हो।
- “बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई” — बादलों की गर्जना नगाड़ों जैसी लगती है; प्रकृति में युवापन/चंचलता जाग उठती है।
- “नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर” — नीला आकाश आँख जैसा, काले बादल उसकी पुतली; वर्षा दया-आँसू की तरह धरती का दुःख हरती है।
5) परीक्षा-उपयोगी बिंदु
- विषय-वस्तु: वर्षा-ऋतु का सौंदर्य, नवजीवन, प्रकृति-उत्सव।
- अलंकार: उपमा, रूपक, मानवीकरण; ध्वनि-सौंदर्य।
- संदेश: पहली बूँद आशा जगाती है; प्रकृति के चक्र में वर्षा का जीवनदायिनी स्थान है।
Example or Analogy (उदाहरण/उपमा)
उपमा: जैसे लम्बे सूखे के बाद एक प्याला ठंडा जल तुरंत तरोताज़गी देता है, वैसे ही पहली बूँद सूखी धरती को जीवन दे देती है—दूब मुस्कराती है, हवा महक उठती है, पेड़-झाड़ियाँ निखर जाती हैं।
Glossary (शब्दार्थ) – सरल अर्थ
| शब्द/पद | सरल अर्थ |
|---|---|
| जलधर | जल का धारक (अर्थात बादल/समुद्र); यहाँ संदर्भानुसार बादल |
| नगाड़े | बड़े ढोल जैसे वाद्य; यहाँ मेघ-गर्जना का बिंब |
| रोमावली-सी दूब | धरती के रोएँ-सी हरी घास (दूब) — हरियाली का संकेत |
| करुणा-विगलित अश्रु | दया/करुणा से बहते आँसू — यहाँ वर्षा-बूँदें |
Important Facts (याद रखने योग्य)
- कविता प्रकृति-चित्रण पर आधारित है; बिंब-प्रतीकों से दृश्य और ध्वनि गढ़े गए हैं।
- पहली बूँद: नवजीवन, आशा, हरियाली — परीक्षा-उत्तर में इन तीन शब्दों का उल्लेख मदद करेगा।
- नीले नयन/काली पुतली बिंब: आकाश + बादल = आँख — यादगार तुलना
NCERT-Style Practice (मेरी समझ से/सोच-विचार)
- प्रश्न: “नव-जीवन की ले अँगड़ाई” किसके लिए? — अंकुर/प्रकृति में नई चेतना
- प्रश्न: “नीले नयनों-सा अंबर, काली पुतली-से जलधर” — आकाश–आँख, बादल–पुतली का बिंब क्यों सुन्दर है? — क्योंकि इससे रंग, आकार और भाव एक साथ दिखते हैं।
- प्रश्न: पहली बूँद धरती का “हर्ष” कैसे दर्शाती है? — हरी दूब, ठंडी हवा, मिट्टी की सोंधी सुगंध।
Quick Quiz (2 Questions)
- “बजा नगाड़े जगा रहे हैं” पंक्ति में नगाड़ों का बिंब किस प्राकृतिक ध्वनि के लिए है? संक्षेप में उत्तर लिखें।
- “नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर” — इस उपमा से कवि क्या प्रभाव पैदा करता है? दो से तीन वाक्यों में समझाएँ।
Answer Key (संकेत-उत्तर)
- यह मेघ-गर्जना का बिंब है; बादलों की गरज को कवि नगाड़ों की ध्वनि से जोड़ता है ताकि उत्सव/जागरण का भाव बने।
- आकाश को नीली आँख और बादलों को काली पुतली बताकर कवि वर्षा को करुणा-आश्रु की तरह प्रस्तुत करता है—इससे सौंदर्य, करुणा और सजीवता एक साथ उभरते हैं।
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Frequently Asked Questions — Class 6 Hindi Malhar Ch 3 (पहली बूँद)
वर्षा की पहली बूँद के साथ नवजीवन का आगमन—धरती की प्यास बुझना, हरियाली लौटना, आशा जगना—यही केंद्र है।
कवि मेघ-गर्जना को नगाड़ों की ध्वनि से जोड़ता है और बिजली की चमक को स्वर्णिम पर (सुनहरे पंख) जैसा रूप देता है—यह उत्सव-बिंब है।
यह दृश्यात्मक और भावनात्मक दोनों है—आकाश-आँख, बादल-पुतली बनते हैं; वर्षा करुणा-आश्रु के समान धरती को तृप्त करती है।
विषय-वस्तु (वर्षा–नवजीवन), अलंकार (उपमा/रूपक/मानवीकरण), बिंब (नयन–जलधर), संदेश (आशा/हरियाली), 2–3 पंक्तियों का भावार्थ।